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दिल के चंद एहसास



जिन्दगी में बढ़ना है आगे, तो जमाने से लड़ना सीखो
चाह है हंसी कलियों की, तो काँटों से मिलना सीखो।। 
 अगर चाहते हो बाँहों में, नित ऋतुराज बिकसे
तो सावन की खिली बहारों में, पतझड़ को बुलाना सीखो।। 


----विचार एवं शब्द-सृजन----
----By---
----Shashank मणि Yadava’सनम’----
---स्वलिखित एवं मौलिक रचना---
 

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7 Comments

Supriya Pathak

17-Sep-2022 11:41 PM

Achha likha hai 💐

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Swati chourasia

16-Sep-2022 09:51 PM

बहुत खूब

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